जनहरण घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
सर सर सर सर, सरकत सर सर;
भरभर भरभर, भगत समय है।
रहत न थिर तन, चलत रहत नित;
जगत लखत वह, दिखत समय है।
चलत रहत वह, बहत रहत निज;
क्षण क्षण प्रति पल, बल अतिशय है।
प्रभुमय सुधि-बुधि,सुख-दुख द्वय सम;
नटवर जिमि मन, लगत समय है।
विधिक नियम पर, करत सकल कर्म;
मंदमति कुंदबुद्धि, लखत न लय है।
समय सफल अति, समय विफल कल;
समय सचल दल, सबक समय है।
Renu
25-Jan-2023 03:54 PM
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