लाइब्रेरी में जोड़ें

जनहरण घनाक्षरी




जनहरण घनाक्षरी


सर सर सर सर, सरकत सर सर;

भरभर भरभर, भगत समय है।


रहत न थिर तन, चलत रहत नित;

जगत लखत वह, दिखत समय है।


चलत रहत वह, बहत रहत निज;

क्षण क्षण प्रति पल, बल अतिशय है।


प्रभुमय सुधि-बुधि,सुख-दुख द्वय सम;

नटवर जिमि मन, लगत समय है।


विधिक नियम पर, करत सकल कर्म;

मंदमति कुंदबुद्धि,  लखत न लय है।


समय सफल अति, समय विफल कल;

समय सचल दल, सबक समय है।




   7
1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:54 PM

👍👍🌺

Reply